सुपरमासिव ब्लैक होल के विलय से निकली गुरुत्व तरंगें की खोजपूर्वक प्रमाणित, वैज्ञानिक ने दी चेतावनी
Supermasiv Black Hole: आधुनिक वैज्ञानिकों ने ब्रह्माण्ड में फैल रही एक ऐसी गुरुत्व तरंगों की खोज की है, जिनकी मान्यता है कि वे सुपरमासिव ब्लैक होल के विलय से पैदा हुई हैं। ये तरंगे वैज्ञानिकों की उम्मीद से बहुत ही शक्तिशाली और ऊर्जावान होती हैं।
Indian Typing, Utter Pradesh, इन गुरुत्व तरंगों का पहली बार पता चलने का महत्वपूर्ण संकेत आकाशगंगा के आकार के परीक्षण में प्राप्त हुआ है।वैज्ञानिकों ने 15 सालों के आकड़ों को एक गैलेक्सी के आकार की परीक्षा में जमा किया है और उन्होंने पहली बार इस गैलेक्सी से भारी मात्रा में ऐसी गुरुत्व तरंगे मिली हैं जो ब्रह्माण्ड से आ रही हैं।
यह गुरुत्व तरंगे हमारी आकाशगंगा के पल्सर तारों के अवलोकन से प्राप्त की गई हैं और इन्हें माना जा रहा है कि ये अब तक की सबसे शक्तिशाली तरंगें हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि ये तरंगें सुपरमासिव ब्लैक होल के विलय से उत्पन्न होती हैं।
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“नॉर्थ अमेरिकन नौनोहर्ट्ज ऑब्जर्वेटरी फॉर ग्रेविटेशनल वेव्स (NANOGrav)” ने इन तरंगों को ग्रेविटेशनल वेव बैकग्राउंड के रूप में अवगत किया है। उम्मीद की जा रही है कि इन तरंगों के अध्ययन से ब्रह्माण्ड के कई रहस्यों का पर्दाफाश किया जा सकेगा।
पल्सर ऊर्जा तरंगे
“नौनोग्रेवैव” ऐसे तारों का विस्तारपूर्वक अध्ययन करता है, जिन्हें पल्सर कहा जाता है। इन तरंगों की ऊर्जा उम्मीद से बहुत अधिक होती है और यह पहले द्वारा मापी गई ग्रेविटेशनल वेव्स की तुलना में लाखों गुना अधिक ऊर्जावान मानी जाती हैं।
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मान्यताओं के अनुसार, वैज्ञानिकों ने हाल ही में एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुए एक शोध प्रबंध में बताया है कि ब्रह्माण्ड भर में फैली ग्रेविटेशनल वेव तरंगें सुपरमासिव ब्लैक होल जोड़ों से निकल सकती हैं, जो एक दूसरे के चक्कर लगाते हुए टकराव करने की कोशिश में होंगे। इस अद्भुत अध्ययन के नतीजों को हाल ही में एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित किया गया है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि ये तरंगें एक ग्रेविटेशनल वेव बैकग्राउंड के रूप में कार्य करती हैं और इस प्रकार एक सुपरमासिव ब्लैक होल के युग्मों को उनके अलग-अलग तरंगों में पहचानने की क्षमता देती हैं। यह पहली बार है कि इस तरह की तरंगों को खोजा गया है और यह ग्रेविटेशनल वेव बैकग्राउंड के पहले प्रमाण है। इस अध्ययन से ब्रह्माण्ड के अध्ययन और अवलोकन के कई नए आयाम खुलेंगे।
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सुपर मासिव ब्लैक होल के बारे में और अधिक अध्ययन
इस बैकग्राउंड के बारे में सैद्धांतिक तौर पर पहले से ही जिक्र हो रहा है, लेकिन अब इसके संकेत मिल गए हैं। इससे खगोलविदों और वैज्ञानिकों को नया खजाना मिला है। उम्मीद है कि इससे सुपरमासिव ब्लैक होलों की गिनती से लेकर गैलेक्सी के विलयों की गुत्थियाँ भी सुलझा सकेंगीं। अभी तक नैनोग्रैव केवल सकल गुरुत्व तरंग पृष्ठभूमिक का मापन कर सकता है, लेकिन इसके बाद उसने चौंकाने वाले नतीजे प्राप्त किए हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस पृष्ठभूमि की आपूर्ति उम्मीद से दोगुनी है। इससे सुझाव देता है कि सुपरमासिव ब्लैक होलों और उनके युग्मों की संख्या अधिक है या फिर वे अपने आप में और बड़े हैं। हालांकि, एक संभावना है कि ये तरंगें किसी अन्य स्रोत से भी उत्पन्न हो सकती हैं, जैसा कि स्ट्रिंग सिद्धांत की प्रणाली या ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति की अन्य व्याख्या बताती है, जो कहती है कि जो आगे होगा, वह सब कुछ है, यह तो केवल शुरुआत है।
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नैनोग्रैव टीम ने खोजे गए तरंगे पहले से खोजी जा चुकी अन्य तरंगों से अलग हैं। यह पृष्ठभूमि अत्यंत निम्न आवृत्ति वाली तरंगों से बनी हैं। इन तरंगों में एक उतार-चढ़ाव सालों या दशकों तक का समय ले सकता है, और क्योंकि ये तरंगें प्रकाश की गति से चलती हैं, इनकी एक वेवलेंथ की लंबाई बीसीयों प्रकाशवर्ष तक हो सकती है।
पृथ्वी पर किसी भी तरह के प्रयोग से इन तरंगों की पहचान नहीं की जा सकती है, इसलिए नैनोग्रैव टीम ने तारों की ओर ध्यान दिया। उन्होंने बारीकी से बहुत सारे पल्सर का अवलोकन किया है। ये सुपरनोवा की प्रक्रिया से गुजरते हुए बहुत विशाल तारों के बहुत ही ज्यादा घने अवशेष होते हैं, जो अपने मैग्नेटिक ध्रुवों से रेडियो तरंगों की बीम को एक विशेष अंतराल पर फेंकते हैं और ब्रह्मांड में लाइटहाउस का कार्य करते हैं।